Date: Dec 16th, 2024
(भगवान के विराट रूप के दर्शन का योग)
आप की कोई फेवरेट perfume होगी? कुछ क्षण के लिए, imagine कीजिए की आप उस perfume को smell कर रहे हैं। बहुत अच्छा लगेगा शायद।
अब imagine कीजिये की आप अपनी सब की सब पसंदीदा perfumes का प्रयोग एक साथ करें। सारी १०-१२ perfumes एक साथ लगाना शायद इतना अच्छा न लगेगा । क्यों? इसीलिए, क्यूंकि आपका दिमाग एक बार में एक ही smell को enjoy कर सकता है, दो या तीन perfumes एक साथ लगाएंगे तो ना तो अच्छा लगेगा, ना ही आप पहचान पाएंगे की कौन कौन सी लगाई हैं। अब imagine कीजिये की दुनिया की सारी स्मेल्स, अच्छी और बुरी, सब एक साथ उमड़ उमड़ के आपको घेर लें – इंसानी दिमाग में इतनी काबलियत नहीं हैं की ऐसी situation को handle कर सके। अब यह समझिये – इन 4-5 वाक्यों को मुझे इसीलिए type करना पड़ा – क्यूंकि ऐसी situation का actual अनुभव पैदा करना किसी और तरीके से नामुमकिन था।
अब यह भी समझिये की सूँघना, इंसान की सिर्फ एक इंद्री हैं। ऐसी अलग अलग 5 इन्द्रियाँ तो हैं ही। हर इंद्री की यही limitation है – एक बार में एक ही sensation को पकड़ सकती है। पर भगवान् तो infinite है। हर इंद्री कैसे infinite sensations को पकड़ पाएगी? फिर उन infinite sensations को कैसे आप process कर पाओगे ?
इस बारे में २-३ मिनट रुक के सोचें ज़रा। infinite visions, infinite tastes, infinite sounds, infinite touches, infinite smells – over an infinite time
human mind की इसी limitation को overcome करने के लिए – कृष्ण अर्जुन को “दिव्य दृष्टि” देते है। फिर जी अर्जुन ने अनुभव किया उसको शब्दों में समझाना असंभव है। आपको सिर्फ में इशारे से बता सकता हूँ, पर इसको सही से समझने के लिए आपको भी दिव्य दृष्टि की आव्यशकता है। meditation यानी ध्यान, भक्ति, और ज्ञान के ज़रिये से एक दिन आपको मिलेगी वह दिव्य दृष्टि।
Now, कल्पना कीजिए कि आप अनंतता के सामने खड़े हैं। अर्जुन, जो एक योद्धा और doubts/ questions से घिरा हुआ है, भगवान श्रीकृष्ण से दिव्य दृष्टि प्राप्त करता है। युद्धभूमि की सीमाएं विलीन हो जाती हैं, और अर्जुन को कृष्ण का विश्वरूप दिखाई देता है—एक ऐसा रूप जो संपूर्ण ब्रह्मांड को समेटे हुए है। यह रूप अद्भुत है, अनगिनत चेहरे, भुजाएं, आंखें, और दिव्य dimensions (from beyond our universe) से भरा हुआ। इसमें सृष्टि की ऊर्जा भी है और विनाश की शक्ति भी।
For God, time is meaningless. so समय थम जाता है, और साथ ही निरंतर चलता रहता है। अर्जुन देवताओं, ऋषियों और दिव्य आत्माओं को कृष्ण के चरणों में झुकते हुए देखता है। दूसरी ओर, वह यह भी देखता है कि योद्धाओं और राजाओं की असंख्य धाराएं कृष्ण के ज्वलंत मुखों में समा रही हैं—समय और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हुए। यह रूप भयावह भी है और अत्यंत सुंदर भी। यह सृष्टि का वह नृत्य है जिसमें निर्माण और विनाश साथ-साथ चलते हैं।
इस विराट रूप को देखकर अर्जुन विस्मय और भय से भर जाता है। उसे अपनी तुच्छता और कृष्ण की असीम शक्ति का एहसास होता है। उसकी सारी शंकाएं समाप्त हो जाती हैं और वह पूरी तरह से कृष्ण को समर्पित हो जाता है। लेकिन इस विराट रूप की भव्यता के बीच, वह अपने सखा और मार्गदर्शक कृष्ण के सहज और human रूप को देखने की इच्छा व्यक्त करता है। उसकी विनम्र प्रार्थना सुनकर, कृष्ण अपने सामान्य और करुणामय रूप में लौट आते हैं और अर्जुन को यह कहते हुए दोबारा फिर से सांत्वना देते हैं कि उसे केवल अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए और फल की चिंता किए बिना अपना धर्म निभाना चाहिए।
btw – इस दिव्य दृष्टि से अर्जुन ने बहुत कुछ और भी “देखा”। यह भी समझिये की जो हम देख सकते हैं वह बहुत काम मात्रा है। इस विश्व में जो दिखता है वह बहुत ही insignificant fraction है। विश्व की 99.9999999% वस्तुएं हमारी देखने की शक्ति से बाहर हैं। जैसे की – आप जानते हैं की शिव हैं, विष्णु हैं, ब्रह्मा हैं, हनुमान, गणेश, और कई हज़ारों मात्माओं/ अवतारों का वर्णन है – जो अभी भी present हैं, पर आप उनको देख नहीं पाते। अर्जुन ने उन सब को भी कृष्ण के विराट रूप में प्रत्यक्ष रूप से देखा। scientists आपको galaxies, blackholes, quasars इत्यादि के बारे में बताते हैं – अर्जुन ने उन सब को भी देखा। आपको मालूम है की सिर्फ धरती पर ही – 7 billion इंन्सान हैं, और करोड़ों प्राणी हैं, अर्जुन ने उन सबको भी प्रत्यक्ष रूप में देखा।
Chapter 11 के end का यह वाक्य सोचने लायक़ है –
“अर्जुन को यह कहते हुए दोबारा फिर से सांत्वना देते हैं कि उसे केवल अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए और फल की चिंता किए बिना अपना धर्म निभाना चाहिए।”
यानी, आपको भी अगर life में कोई ऐसी situations आयें जिसमें बहुत confusion हो, बहुत ज़्यादा डर लगे, या कुछ समझ में नहीं आ रहा हो – तो आप भी कृष्ण के इस message से फ़ायदा उठा सकते हैं। सब कुछ कृष्ण पर छोड़ दें। सिर्फ़ अपना काम करने में पूरा ध्यान दें।



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