Chapter 3 – कर्म योग

Date: Dec 8th, 2024

भगवद गीता के अध्याय 2 साख्यो में, श्रीकृष्ण ने अर्जुन को आत्मा की अमरता और निष्काम कर्म के महत्व के बारे में सिखाया। इसके बावजूद अर्जुन अभी भी भ्रमित थे और यह समझ नहीं पाए कि उन्हें ज्ञान के मार्ग पर चलना चाहिए या कर्म के मार्ग पर।

इसको ऐसे समझें – अगर आप ने chapter २ सुन लिया, समझ लिया, तो फिर “why should I do anything? भगवान सब कर तो रहा है।” दिमाग़ में आ सकता है। यानी – ज्ञान मिल गया। अब कर्म करूँ या नहीं, की फ़र्क़ पैंदा है?

इसलिए, श्रीकृष्ण ने अध्याय 3 (कर्म योग) में अर्जुन के भ्रम को दूर करने और कर्म के महत्व को समझाने के लिए उपदेश दिया।

अर्जुन ने पूछा कि यदि ज्ञान कर्म से श्रेष्ठ है, तो उन्हें युद्ध (कर्म) करने के लिए क्यों प्रेरित किया जा रहा है?

कृष्ण अर्जुन को सिखाते हैं कि कर्म का त्याग नहीं, बल्कि फल की इच्छा का त्याग करना चाहिए। अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए निष्काम भाव से कर्म करना ही मोक्ष का मार्ग है। कर्मयोग जीवन को शुद्ध करता है और आत्मा को उच्चतम चेतना की ओर ले जाता है।

कर्म और ज्ञान दोनों ही मोक्ष के मार्ग हैं, लेकिन कर्म के बिना सिद्धि असंभव है।

waise bhi – कोई भी व्यक्ति क्षणभर के लिए भी बिना कर्म किए नहीं रह सकता; प्रकृति के गुण उसे कर्म करने के लिए प्रेरित करते हैं। व्यक्तियों को कर्म करके समाज के लिए प्रेरणा बनना चाहिए। उनका कर्म समाज को दिशा देता है।

प्रकृति के गुण ही सभी कर्म करते हैं, लेकिन अहंकार से अज्ञानी व्यक्ति सोचता है, “मैं कर्ता हूँ।” श्रीकृष्ण सिखाते हैं कि अहंकार को त्यागकर कर्म करें और अपने धर्म का पालन करें।

In case Gyaan was in itself sufficient, then God is already “all knowing”. श्रीकृष्ण कहते हैं कि यदि मैं अपने निर्धारित कर्मों का पालन करना छोड़ दूं, तो ये सभी लोक नष्ट हो जाएंगे। मैं उस अराजकता के लिए उत्तरदायी हो जाऊंगा जो फैल जाएगी, और इस प्रकार मैं मानव जाति की शांति को नष्ट कर दूंगा।

इंद्रियां स्थूल शरीर से श्रेष्ठ हैं, और इंद्रियों से श्रेष्ठ मन है। मन से परे बुद्धि है, और बुद्धि से भी परे आत्मा है।

आत्मा को बुद्धि से श्रेष्ठ (superior) जानकर, अपने निम्न स्व (इंद्रियों, मन और बुद्धि) को उच्च स्व (आत्मा की शक्ति) द्वारा नियंत्रित करो, और इस भयंकर शत्रु जिसे कामना कहते हैं, का नाश करो।

In summary – control your body (say through yoga, swimming, or playing badminton; plus eating simple foods), then learn to control your senses (through pranayam), then learn to control your mind (through meditation). you will experience the Atma, only after learning to rule over these.

In hindi – पहले अपने शरीर को नियंत्रित करें (जैसे योग, तैराकी या बैडमिंटन खेलकर; और सादा भोजन खाकर)।
फिर अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण करना सीखें (प्राणायाम के माध्यम से)।
इसके बाद अपने मन को नियंत्रित करना सीखें (ध्यान के माध्यम से)।

इन सभी पर विजय पाने के बाद ही आप आत्मा का अनुभव कर सकते हैं।

Chapter 3 – summarized in a few words “Stay Busy, live a simple life, be humble”

Summary in one image –

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *