Chapter 2 – सांख्य योग 

Date: Dec 7th, 2024

Welcome to भगवद गीता chapter – 2. Ready or not, here we go!

यह कुछ लम्बा chapter है, इसीलिए आज के लिए, I will try to stay to the point.

दूसरा अध्याय अर्जुन के मानसिक संघर्ष (यानि की Depression से बाहर निकलने की struggle) को दूर करने और उन्हें कर्तव्य के मार्ग पर प्रेरित करने का पहला कदम है। कृष्ण अर्जुन को सिखाते हैं कि आत्मा अमर है, और अपने धर्म का पालन करना जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य है। यह अध्याय कर्म योग और सांख्य योग का basic ज्ञान प्रदान करता है।

यह सांख्य योग और कर्म योग क्या है?
इस की best definition के लिए, आपने यह एक श्लोक ज़रूर सुना होगा – गीता के 700 में से सबसे मशहूर श्लोकों में इसकी गिनती है –

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार केवल अपने कार्य (कर्म) पर है। हमें अपने कर्तव्यों का पालन पूरी लगन और निष्ठा से करना चाहिए। हमारे कार्यों का क्या परिणाम होगा, यह हमारे नियंत्रण में नहीं है। इसलिए, फल की चिंता में उलझने की बजाय अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

हर काम को (krishna’s) सेवा समझ के करो। किसी कार्य को केवल उसके फल (लाभ या हानि) के लिए करना अनुचित है। कर्म, specially सेवा, निष्काम (स्वार्थरहित) होना चाहिए।

फल की चिंता से घबराकर या आलस्य में पड़कर कर्म करना छोड़ना (अकर्म) गलत है। कर्म न करना भी पाप है।

Btw – योग का अर्थ है मन और इंद्रियों का नियंत्रण। योग के through व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है और आत्मा के वास्तविक स्वरूप को पहचान सकता है।

Chapter- 2 का second major point –
आत्मा का ज्ञान: आत्मा अमर, अजर और अविनाशी है। शरीर नश्वर है और नष्ट हो सकता है, लेकिन आत्मा को कोई नष्ट नहीं कर सकता। मृत्यु के बाद आत्मा केवल पुराने वस्त्र की तरह शरीर को त्यागती है और नया धारण करती है।

Best two pictures to summarize the two concepts. are –

This is a famous image. You must have seen it at many homes.
You are Arjun, riding the chariot. Krishna is responsible for where the chariot (your life) goes. The horses represent your untamed abilities/ talents/ senses. Let Krishna take over and tame these. You just do your work (Karma).

Second picture is this one –

It represents our immortality, and the timeless cycle of birth/ life/ death.

बस, this was the summary of Chapter – 2. This was the most difficult chapter. It gets easier after Chapter 2.

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