Date: Dec 6th, 2024
Here is a simple picture that summarizes this chapter.

महाभारत के युद्ध के प्रारंभ में, कुरुक्षेत्र के मैदान में कौरव और पांडव सेना आमने-सामने खड़ी हैं। इस अध्याय में धृतराष्ट्र (jo ki apne ghar pe baithe hain, is picture mein nahin hain) अपने साथी संजय (jiske paas TV jaisi superpower thee) से युद्ध का वर्णन सुनते हैं। संजय अपनी दिव्य दृष्टि से युद्धभूमि का दृश्य धृतराष्ट्र को बताते हैं।
अर्जुन, जो पांडवों की ओर से मुख्य योद्धा हैं, अपने सारथी भगवान श्रीकृष्ण से कहते हैं कि वे उनका रथ दोनों सेनाओं के बीच ले चलें ताकि वे अपने विरोधियों को देख सकें। जब अर्जुन अपने ही relatives, cousins, गुरुजनों, और मित्रों को शत्रु पक्ष में खड़ा देखते हैं, तो वे गहरे शोक और मानसिक संताप में डूब जाते हैं।
अर्जुन सोचते हैं कि इस युद्ध में विजयी होकर भी वे सुखी नहीं हो पाएंगे क्योंकि यह युद्ध उनके अपने प्रियजनों के विनाश का कारण बनेगा। वे अपने कर्तव्य (what should I do? Fight or Flight?) को लेकर confused हो जाते हैं और अपने धनुष (it was called गांडीव) को नीचे रख देते हैं। वे कृष्ण से कहते हैं कि वे इस युद्ध को नहीं लड़ सकते और पूरी तरह से निराश हो जाते हैं।
निराश yaani Depressed हो जाते हैं । यानी की – उस ज़माने में भी होता था depression. विषाद also means Depression.
That is it. Simple. Chapter 1 finished.
भगवद गीता के पहले अध्याय, जिसका नाम ” अर्जुन विषाद योग ” है, में कुल 47 श्लोक हैं। There are a lot of details in these 47 verses, but आपने ऊपर वाली picture देख ली बस समझो सब श्लोक सुन लिए।.
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